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नया घर




नया घर(कुण्डलिया)


छोड़ा घर वह इसलिये, देखा सुंदर गेह।

सुंदर घर में लग रहा, था अति हितकर स्नेह।।

था अति हितकर स्नेह, लाभ का स्वर्णिम मौका।

इसीलिए तो चाल, चली वह लेने छक्का।।

कहें मिसिर कविराय, मनुज जब खाता कोड़ा।

चला लाभ  के गेह,स्वयं पहले को छोड़ा।।





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1 Comments

Sushi saxena

08-Jan-2023 08:28 PM

👌👌

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